पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
जिसमें मिला दो लगे उस जैसा
पानी रे पानी ओ पानी पानी रे पानी ओ
इस दुनिया में जीने वाले ऐसे भी हैं जीते
रूखी-सुउखी खाते हैं और ठंडा पानी पीते
इस दुनिया में…
तेरे एक ही घूँट से मिलता जन्नत का आराम
पानी रे
भूखे की भूख और प्यास जैसा
पानी रे पानी…
ओ पानी पानी रे पानी ओ ओ
ओ ओ ओ हो हो हो
गंगा से जब मिले तो बनता गंगाजल तू पावन
बादल से तू मिले तो रिमझिम-रिमझिम बरसे सावन
सावन आया सावन आया
सावन आया सावन आया रिमझिम बरसे पानी
आग सी ओधकर आग पहनकर… (2)
पिघली जाए जवानी
कहीं पे देखो च्चत टपकती जीना हुआ हराम
पानी रे पानी…
दुनिया बनाने वाले रब जैसा
पानी रे पानी…
ओ पानी पानी रे पानी ओ ओ
वैसे तो हर रंग में तेरा जलवा रंग जमाए
जब तू फिरे उम्मीदों पर तेरा रंग समझ ना आए
काली खिले तो झट आ जाए पतझड़ का पैगाम
पानी रे पानी…
सौ साल जीने की उम्मीदों जैसा
ओ पानी ओ
पानी रे पानी…
पानी रे पानी
ओ पानी पानी रे पानी ओ