पिया बिना, पिया बिना, बासिया
बाजे ना…
पिया ऐसे रूठे, के होंठों से मेरे, संगीत रूठा
कभी जब मैं गाऊँ, लगे मेरे मन का, हर गीत झूठा
ऐसे बिछड़े मोसे रसिया
पिया बिना, बासिया…
तुम्हारी सदा बिन, नहीं एक सूनी, मोरी नगरिया
के चुप है पपीहा, मयुर बोल भूले, बन में साँवरिया
दिन है सूना, सूनी रतिया
पिया बिना, बासिया…