सुन री पवन, पवन पुरवय्या
मैं हूँ अकेली अलबेली तू सहेली मेरी
बन जा साथिया
१) चल तू मेरा आँचल थाम के
अंजाने रस्ते इस गाँव के
साथी हैं ये मेरे नाम के
नैन ये निगोड़े किस काम के
डोले मेरा मन, ऐसे जैसे नय्या, मैं हूँ …
२) कोई तो हो ऐसे पूछे बात जो
गिरूँ तो पकड़ लेवे हाथ जो
हँसे रोए सदा मेरे साथ जो
सोए जागे संग दिन रात जो
ऐसे हो मिलन, जैसे धूप छंय्या, मैं हूँ …