सस्ती मेरे शहर मेँ शराब हुई है
जबसे उनकी आँखेँ, बेनकाब हुई है !
जो उसे दिल लगा के देखता है
उस की आँखें धड़कने लगती हैं
ये रूहानी नजरें तुम्हारी दिल में उतर गई
हम जबां से कुछ कह पाते
इससे पहले आंखे तुम्हारी बोल गई
उनको गुजरते देखा तो
आँखें बंद कर ली हमने
पायल की झंकार क्या उठी
आँखों ने बगावत कर दी!!
तुम्हे ना देख कर कब तक सबर करूँ
आँखें तो बँद कर लूँ पर इस दिल का क्या करूँ!
दिल सोचता था के कोई अपना हो
कोई राज न हो जो उस से रखना हो
आंखें ना खोलू मैं शायद सपना हो..
यूँ अदब से रुख तक पल्लू ले जाते है घुमाते हुए
मेरी आँखे न देख ले कोई तेरा रस्ता ताकते हुए
आँखें हैं दगाबाज यकीं इनका अब नही
ये बेवफा हैं रकीबों से जा मिली
लब ओ रुख़सार छुपा रक्खे हैं तुमने हिजाब में ऐ जान
पर आँखे बता रही हैं तू बन्दी बड़ी हसीन है
आँखें नाज़ुक सी कलियाँ बातें मिश्री की डलियाँ
होंठ गंगा के साहिल जुल्फें जन्नत की गलियाँ
बहुत दिनों बाद उसे देखा
दिल नहीं भरा पर आँखें भर आईं
तारीफ के काबिल है तेरी आँखें
जिसने मुझको है चुना
ये जहाँ है घनी धूप की तरह
बस तु है मेरी ज़िंदगी की छाया
किसी ने पूछा कौन याद आता है,
अक्सर तन्हाई में
मैने कहा कुछ पुराने रास्ते,
मुस्कुराता चेहरा और बस दो आँखें
उन्होंने मुझसे कहा
आपकी आँखे बहुत खुबसूरत हैं
मैंने कहा ये
तेरा ख्वाब जो देखती हैं!!
ऐ बादल ! मेरी आँखे तुम रख लो
कसम से बड़ी माहिर हैं बरसने में
दिल से खेलने की फितरत खुदा ने भी
क्या खूब रखी
इश्क़ को रूह तक रखा
मोहब्बत को “आँखें” नहीं बख्शी
इंतजार का लम्हा, मुश्किल है पल
बरसती हैं आँखें, तड़पता है दिल
बेबसी हर पल मिलन है मुश्किल
ऐ मेरे जीवन आकर मुझसे मिल!
आंखे है उनकी या है शराब का मेहखना
देख कर जिनको हो गया हूँ मै दीवाना
Nice Line
“आँसू न होते तो आँखे इतनी खुबसूरत न होती,
दर्द न होता तो खुशी की कीमत न होती
अगर मिल जाता सब-कुछ केवल चाहने से
तो दुनिया में “ऊपर वाले”की जरूरत ही न होती!
वह तो अपना
दर्द रो रो कर सुनाते रहे, हमारी तन्हाइयों
से भी भी आंखें
चुराते रहे
हमें ही मिल गया
खिताब ए बेवफा
क्योंकि
हम हर दर्द मुस्कुरा
कर छुपाते रहे !
शुभ संध्या
बरबस सी आंखें रस्ता तकती है तेरा
क्या तुझको भी मेरी आस लगती है कभी
तेरे बिना रुकी तो नहीं जिंदगी
चली भी तो नहीं…
सजदों में भीगती हैं जिनकी आंखें
वो लोग कभी
किस्मत और तकदीर पर
रोया नही करते!!
तेरा आँखें मिलाने तक तो ठीक था
पर तेरा आँखें मिलाकर झुकाना गजब ढा गया
हुई मेरी मोहब्बत बर्बाद कैसे
कैसे बिखरे हैं ख्वाब लिखूंगी
तेरी आंखे शराब की मनींद
और तेरा चेहरा गुलाब लिखूंगी
मैं तुझसे जुदाई का सबब,और
अपनी किस्मत खराब लिखूंगी
दर्द का मतलब वो आँखें समझतीं हैं,
जिसने वक्त से पहले दुनिया का हर रूप देख लिया हो !
मुद्दत बाद जब उसने
मेरी खामोश आँखें देखी
तो ये कहकर फिर रुला
गया कि लगता है अब
सम्भल गए हो
रूह ने तो
कब की मूंद ली आँखें
बस जिस्म को अब ,
धीरे धीरे नींद आनी हैं
जाने क्यों डूब जाता हूँ हर बार इन्हें देख कर
इक दरिया हैं या पूरा समंदर हैं तेरी आँखें
जो तुझे बिखरने पर समेट ले,
वो बाँहे बन जाऊँ !
जो तेरे रोने से तर हों,
वो आँखें बन जाऊँ!
और जिस पल तू जीने की
आस ही छोड़ दे,
ख़ुदा करे मैं उसी पल
तेरी साँसें बन जाऊँ.
मेरी “चाहत” का इस तरह मज़ाक मत बनाओ
के तुम्हारी “आँखे” ही तरस जाए मुझे देखने के लिए
“चलो आज दिन की आखरी नमाँज पढँ लुँ,
चांद के दीदार के लिये,आँखें तरस सी गयी है”!
बनारस की
सुबह तू ही अवध की शाम हो जाये
मेरे दिल की
हर एक धडकन तुम्हारे नाम हो जाये
नशे में डूबती
आँखें जब तुम्हारी मुझे देखें
कहीं ऐसा ना
हो दिल में मेरे कोहराम हो जाये
बहुत मिलेंगे तुम्हें
वफा के नाम पर लूटने वाले मगर,
कोई तेरे लिए अपनी
आंखें नम करें
तो उसे, मेरा सलाम कहना !
कितना अधूरा लगता है तब,
जब बादल हो पर बारिश ना हो,
जब जिंदगी हो पर प्यार ना हो,
जब आँखे हो पर ख्वाब ना हो,
और जब कोईअपना हो पर साथ ना हो
वो जो तू अपने हाथों से
जुल्फों को सवांरा करती है
बस उसी अन्दाज़ को देखकर मेरी आँखें,
गुज़ारा करती है!
तुम देखते रहना मुझे
यूँ ही आँखें भर भर के,
हम दिवाने हुए जा रहे हैं
तेरे इस अंदाज से!!
न कर इतना गुरुर अपने नशे पर शराब !
तुझसे ज्यादा नशा रखती हैं आँखें किसी की
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए
उसकी गालों का रंग चाय जैसा था
फिर क्या था,
आँखें बंद की और चुस्की ले ली!!
मेरी जुल्फों के बिखरने का सबब है कोई,
आँखें कहती है मेरे दिल में तलब है कोई!!
इसे इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त
आँखे जब भी नम हुई वजह तुम ही निकले।
खुबसूरती का एहसास आईना नही कराता,
किसी की आंखे कराती है
तेरी आँखें, तेरी ज़ुल्फ़ें, तेरा चेहरा, तेरे लब
अब भी मशहूर हैं दुनिया में मिसालों की तरह।
यकीनन मुझे तलाशती हैं तेरी आँखें
ये बात अलग है तुम ज़ाहिर नही होने देते,
कौन कहता है कि
आँखे जुवा नहीं खेलती
हजारों दिल ने हारे है
तेरी सुरत देख कर !
मेरी मौत भी मेरी आँखों से आंखे मिला कर चली जाती है
वो मेरी माँ है जो अपने हाथों से काजल लगाती है
जिसे देख कर ये मेरी आँखें भी खुश हो जाती हैं
वो प्यारा सा चेहरा हो तुम
“आँखें तो प्यार मे दिल की जुबाँ होती है,
चाहत तो सदा बेजुबाँ होती है
प्यार मे दर्द भी मिले तो क्या घबराना
सूना है दर्द से चाहत और जवाँ होती है
कभी कभी दर्द इतना बढ़ जाता है,
कि,
कोई गले लगा ले तो भी आंखें भर आती हैं।
पहले खोजी गई आँखे तुम्हारी
इश्क़ तो बाद में ईज़ाद हुआ
खुली आंखे भी देखती हैं ख़्वाब तेरे
तेरे इश्क की दीवानगी ने
पागल बना दिया
सुनो
आँखे खोलू तो देखु तुझे
ये मेरी फरमाइश है
पहली तो मुझे याद नही
पर तू मिले ये मेरी आखरी ख्वाइश है
ना देखो कि अदाएँ गजब कितनी है
आँखे पढो इन्हें तेरी तलब कितनी है
हया आँखों में हो तो पर्दा दिल का ही काफ़ी है बे-हया आँखे हो तो इशारे नकाबों में भी होते है
आँखें भिगोने लगी है अब तेरी बातें
काश तुम अजनबी ही रहते तो अच्छा होता
मेरी तस्वीर बनाओ
तो सब रंग भरना मोहब्बत के,
लेकिन जब आँखे बनाओ तो
आँसू रवाँ रखना
मुकम्मल इश्क की तलबगार नहीं है आंखें
थोड़ा थोड़ा ही सही रोज तेरे दीदार की चाहत हैं!
कभी तो आ मिल फिर से करें गुफ़्तगू
मैं आँखें पढ़ूँ तेरी तु सांसे सुने मेरी
ज़रा सी देर को तुम अपनी आँखें दे दो मुझे
ये देखना है कि मैं तुम को कैसी लगती हूँ !
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