सोने वालें
नहीं समझ सकतें..गालिब
जागने वालों
के मसले
क्या_हैं..?
मिल गया होगा कोई और
उसें..
लाखों हैं यहाँ
हमसे बेहतर कमाने
वाले..
महोंब्बत रही
चार_दिन
जिन्दगी_में
रहा चार दिन का असर जिन्दगी भर
तेरा साथ तो
कमाल
था_ही..
जुदाई बेमिसाल
निकली..
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मेरी मौत पर
तुम भी
आना..
मैं_अपनें जनाजें पर रौनक
चाहता हूँ..
तेरें आने की क्या
उम्मीद..
मगर
कैसें कह_दूँ के इन्तजार नहीं..
तुझे लगा होगा कि
कभी ना कभी तो तुझे भुला देंगे,
अब तुम्हे लिखेंगे इतना की
ज़माने को रुला देंगे।